श्रेयस अय्यर को इंडिया A टीम की कप्तानी मिली है और यह कदम भारतीय क्रिकेट के फैन्स के लिए एक नई चर्चा का विषय बन गया है। 16 सितंबर से लखनऊ में ऑस्ट्रेलिया A के खिलाफ दो मल्टी-डे मैचों में अय्यर टीम का नेतृत्व करेंगे। हालांकि उन्हें एशिया कप 2025 के लिए नहीं चुना गया, फिर भी इंडिया A की कप्तानी उनके लिए टेस्ट टीम में वापसी का रास्ता खोल सकती है। क्रिकेट विश्लेषक आकाश चोपड़ा का मानना है कि अब 30 वर्षीय बल्लेबाज के लिए टेस्ट में जगह बनाने की राह साफ हो गई है।
श्रेयस अय्यर को पिछले इंग्लैंड दौरे के पांच मैचों की एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में शामिल नहीं किया गया था। उन्होंने आखिरी बार 2024 में टेस्ट खेला था, लेकिन चोट और रणजी ट्रॉफी में खेलने से बचने की वजह से उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। इसके अलावा उन्हें सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से भी हटा दिया गया था। हालांकि, व्हाइट-बॉल क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के कारण उन्होंने वापसी की।
इंडिया A की कप्तानी के साथ अय्यर को अब टेस्ट टीम में भी शामिल किए जाने की संभावना बढ़ गई है। वहीं, करुण नायर के लिए राह मुश्किल हो गई है। इंग्लैंड के खिलाफ चार पारियों में उन्होंने सिर्फ एक बार अर्धशतक बनाया और कुल 205 रन बनाए। 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ ट्रिपल सेंचुरी बनाने वाले करुण नायर अब टेस्ट टीम में अपनी जगह खोते दिख रहे हैं।
चोपड़ा ने यह भी कहा कि हाल के दौरों में कप्तानी की भूमिका एक तरह से ‘म्यूजिकल चेयर’ बन गई है। पहले अभिमन्यु ईश्वरन कप्तान थे, अब अय्यर को मौका मिला है। No.3 और No.6 की पोजिशन अभी भी खुली हैं और इसी कारण अय्यर को टीम की कमान सौंपी गई। करुण नायर इस बार नजरअंदाज किए जा सकते हैं, जिससे उनके टेस्ट करियर पर भी सवाल उठ रहे हैं।
इस विकास से यह स्पष्ट होता है कि अय्यर का चयन सिर्फ कप्तानी तक सीमित नहीं है, बल्कि टेस्ट टीम में स्थायी जगह पाने का संकेत भी देता है। जबकि करुण नायर के लिए आगे की राह मुश्किल और अनिश्चित दिखाई देती है। भारत में होने वाले आगामी सीरीजों में अय्यर की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है, खासकर वेस्ट इंडीज और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ, जहां उनके अनुभव और बल्लेबाजी कौशल से टीम को लाभ मिल सकता है।
यह निर्णय भारतीय क्रिकेट की चयन प्रक्रिया और खिलाड़ियों के करियर पर भी एक गहन प्रभाव डालता है। अय्यर की कप्तानी के साथ यह साफ है कि करुण नायर को अब शायद और मौके नहीं मिलेंगे, जबकि युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से टीम में अपनी जगह पक्की कर सकते हैं। ऐसे समय में जब चयन और कप्तानी पर लगातार विवाद होते रहते हैं, अय्यर की जिम्मेदारी और दबाव दोनों ही बढ़ गए हैं।
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