BCCI में फिर से खिलाड़ी-राष्ट्रपति की संभावना: परंपरा बनेगी या प्रशासनिक दक्षता आगे बढ़ेगी?

 क्या BCCI फिर से खिलाड़ी-राष्ट्रपति को चुनेगा? यह सवाल इस समय हर क्रिकेट प्रेमी के मन में घूम रहा है। 28 सितंबर को BCCI अपना नया अध्यक्ष चुनेगा और फिलहाल राजीव शुक्ला कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में हैं। पिछले दो कार्यकालों में, जब से RM लोढ़ा सुधारों के तहत संविधान में बदलाव हुआ, यह प्रथा रही है कि शीर्ष पद पर किसी प्रतिष्ठित पूर्व क्रिकेटर को बैठाया जाए। सौरव गांगुली और फिर 1983 विश्व कप विजेता रोज़र बिन्नी ने यह जिम्मेदारी संभाली, लेकिन अब बिन्नी 71 साल की उम्र की वजह से पात्र नहीं हैं।

BCCI में फिर से खिलाड़ी-राष्ट्रपति की संभावना: परंपरा बनेगी या प्रशासनिक दक्षता आगे बढ़ेगी?
Credits - Hindustan Times

राजीव शुक्ला, जो वर्तमान में उपाध्यक्ष हैं, संभवतः इस बार भी दावेदारी में होंगे, लेकिन क्या BCCI अपनी परंपरा छोड़कर एक अनुभवी खिलाड़ी के बजाय एक प्रशासनिक पृष्ठभूमि वाले को अध्यक्ष बनाएगा? यह वही सवाल है जो सभी की निगाहें आकर्षित कर रहा है। नामों की चर्चा हो रही है, लेकिन उच्च कमाई वाले पेशेवर शायद सम्मानजनक, लेकिन बिना वेतन वाले इस पद को लेने में उतना उत्साहित नहीं होंगे।

साथ ही, IPL के गवर्निंग काउंसिल का पुनर्गठन भी होना है। शुक्ला IPL अध्यक्ष बनने की संभावनाओं में भी हैं, लेकिन इसे कार्यालय धारक के रूप में नहीं गिना जाता, जिससे वर्तमान अध्यक्ष अरुण धूमल अपनी जगह बनाए रख सकते हैं। सचिव, कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव की स्थिति में भी कुछ बदलाव हो सकते हैं, लेकिन ज़ोनल संतुलन बनाए रखना प्रमुख भूमिका निभाएगा।

खेल की दुनिया में हमेशा बदलाव की उम्मीद रहती है, लेकिन BCCI में यह बदलाव अक्सर धीमा और जटिल होता है। क्या एक प्रशासनिक अनुभव रखने वाला व्यक्ति फिर से क्रिकेट के खेल के फैसलों में प्रभावी रहेगा, या खिलाड़ी-प्रधान नेतृत्व ही बेहतर साबित होगा? यह सवाल न केवल अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया पर बल्कि भारतीय क्रिकेट की रणनीति और भविष्य पर भी असर डालेगा।

इस बीच, खेल प्रेमियों की नजरें रोहित शर्मा और विराट कोहली पर भी हैं, जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इंडिया A की 50 ओवर की श्रृंखला में खेलने के लिए तैयार हो सकते हैं। दोनों खिलाड़ी अपनी फिटनेस और अनुभव के बल पर टीम को मजबूती देने के लिए उत्सुक हैं। मगर, जैसे BCCI में नेतृत्व की चुनौतियां जटिल हैं, वैसे ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लंबे समय तक खेलते रहने की योजना बनाना भी आसान नहीं है।

इसलिए सवाल यही है: क्या BCCI फिर से खिलाड़ी-राष्ट्रपति की परंपरा बनाए रखेगा या प्रशासनिक दक्षता को प्राथमिकता देगा? यह निर्णय न सिर्फ संगठन की छवि बल्कि भारतीय क्रिकेट की दिशा को भी प्रभावित करेगा।

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